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PRESSPALIKA NEWS CHANNEL-प्रेसपालिका न्यूज चैनल

6.11.10

रेल दुर्घटना की वजह अंग्रेजी भी! आलेख पर स्पष्टीकरण


अनेक माध्यमों से प्राप्त समस्त आदरणीय पाठकों की टिप्पणियों के लिये हृदय से आभार।
 सबसे पहले तो मेरा निवेदन है कि कृपा करके मेरे इस आलेख को वर्तमान दुर्घटना से जोडकर नहीं पढें, बल्कि इस पर समग्रता से विचार करने की जरूरत है। चूँकि एक रेल दुर्घटना हो जाने के कुछ समय बाद तक आम लोगों के मन में भी रेलवे दुर्घटनाओं के बारे में जानने की जिज्ञासा रहती है। इसलिये इस समय इस विषय पर आलेख लिखा गया है। अन्यथा इस दुर्घटना से इस लेख का कोई सीधा सम्बन्ध नहीं है।

अब मुझे विनम्रता पूर्वक कहना है कि रेलवे से बाहर के लोगों को रेलवे की कार्यप्रणाली के बारे में व्यावहारिक जानकारी नहीं है, इस कारण अनेक लोगो की नजर में भाषा कोई मायने नहीं रखती है। जबकि सच्चाई यह है कि भाषा ही सबसे अधिक मायने रखती है। रेलवे में रेल संचालन से सम्बन्धित अनेक प्रकार की मैन्युअल प्रभावी हैं, जिनका क्रियान्वयन करना रेल संरक्षा एवं रेल संचालन से जुडे प्रत्येक व्यक्ति का दायित्व है और इनका पालन नहीं करने पर रेलकर्मियों को आयेदिन दोषी ठहराया जाता है। दोषी ठहराते समय साफ शब्दों में उल्लेख किया जाता है, कि फलां-फलां नियमों का पालन या क्रियान्वन नहीं करने के कारण रेल संरक्षा को खतरा उत्पन्न हुआ।

रेलकर्मियों की ओर से बार-बार आग्रह किया जाता है कि नियमों को याद रखना सम्भव नहीं है। अतः उन्हें उनकी अपनी भाषा में नियमों की पुस्तक उपलब्ध करवाई जावे, जिससे कि वे उन्हें बार-बार पढते रहें और नियमों का पालन एवं क्रियान्वयन सुनिश्चित कर सकें, लेकिन नियमों को रेलकर्मियों की भाषा में उपलब्ध करवाने के स्थान पर, उन्हें झिडकियाँ दी जाती हैं। और तो और रेलवे के नियमों में उल्लेख किया गया है कि किसी कर्मचारी द्वारा अंग्रेजी समझ में नहीं आने पर उसे हिन्दी अनुवाद उपलब्ध करवाया जायेगा, लेकिन अनुवाद उपलब्ध नहीं करवाने के कारण ऐसे कर्मचारी को ऐसे नियम के उल्लंघन के अपराध से मुक्त नहीं माना जा सकेगा।

उक्त प्रावधान से अधिक पीडादायक और क्या हो सकता है?

बेशक कर्मचारी को दण्डित कर दिया जाये, लेकिन उसके द्वारा मांगे जाने पर भी अंगे्रजी नियमों और रेल संचालन/संरक्षा प्रावधानों का अनुवाद प्रदान नहीं किये जाने के कारण होने वाली दुर्घटना में होने वाली, जन-धन की हानि को क्या ऐसे कर्मचारी को दण्डित करके पूरा किया जा सकता है।

इससे भी अधिक दुःखद बात ये भी है कि अनुवाद उपलब्ध नहीं करवाने वाले रेल अधिकारी/प्राधिकारी के विरुद्ध किसी भी प्रकार की कार्यवाही करने का कोई प्रावधान नहीं है। अब आप सिंगनल ब्लॉक संचालन सम्बन्धी एक प्रावधान की अंग्रेजी भाषा पढिये/देखिये :-

Mechanical key Lock : The Mechanical key lock is an attachment to the tokan Block Instrument, added where required for the purpose of providing interlocking between the tokan Block Instrument and the last stop signal of the section, which it controls. It may also be used for other purpouses, such as the control of outlying points. The key can only be removed from the lock after the token han been extracted from the Block Instrument and the removel of the key, locks the operating handle in the “Train Going To” position.

उपरोक्त कार्य करने के लिये ऐसे रेलकर्मियों को पदस्थ किया जाता है, जिसके लिये रेलवे में भर्ती होते समय अलग से अंग्रेजी पढने, लिखने और समझने में दक्षता की कोई परीक्षा नहीं ली जाती है। अनेक बार तो उक्त कार्य पांचवीं एवं आठवीं पास चुतर्थ श्रेणी कर्मचारी या चतुर्थ श्रेणी से तृतीय श्रेणी में पदोन्नत कर्मचारी भी निष्पादित करते हैं। जिनके लिये उक्त प्रावधानों को ज्यों का त्यों समझना लगभग असम्भव होता है।

ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक है कि फिर यह काम कैसे हो रहा है, तो इसका जवाब ये है कि अपने से वरिष्ठ रेलकर्मियों से जो कुछ सीखते हैं, उसी को दौहराते रहते हैं, लेकिन जैसे ही इस संचालन प्रणाली में किसी दुर्घटना कमेटी की जाँच के बाद परिवर्तन या संशोधन किया जाता है, तो उसे केवल अंग्रेजी में ही परिपत्रित किया जाता है, जिसे समझना लगभग असम्भव होता है और भारी-भरकम धन खर्च करके प्राप्त जाँच रिपोर्ट के परिणामों को केवल अंग्रेजी नहीं समझ पाने के कारण क्रियान्वित नहीं किया जा सकता है। या यों कहो कि अंगे्रजी में रिपोर्ट बनाने एवं जारी करने की मानसिकता के कारण रेलवे की संरक्षा को दाव पर लगा दिया जाता है।

मैं समझता हँू कि मैं मेरी बात को स्पष्ट करने में सफल रहा हँू, यदि इसमें किसी भी प्रकार की खामी/अस्पष्टता हो तो कृपया मुझे लिखने का कष्ट करें। मैं आपका आभारी रहँूगा। मेरा उद्देश्य सुरक्षित एवं संरक्षित रेल संचालन है, जिसमें सभी देशवासियों का सहयोग अपेक्षित है।-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
Friday, July 23, 2010

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