Friday, September 24, 2010
दिल्ली सरकार का अनुकर्णीय निर्णय!
(अदालत में शादी करने के लिए कोई नोटिस नहीं, उसी दिन विवाह पंजीकरण प्रमाण पत्र भी)
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
हमारे देश का संविधान सभी को एक जैसा समान न्याय एवं सम्मानपूर्वक जीवन जीने का मौलिक अधिकार प्रदान करके इसकी गारण्टी भी देता है, लेकिन व्यावहारिक कडवी सच्चाई इस बात का समर्थन नहीं करती हैं। ऐसे अनेक क्षेत्र हैं? जिनमें व्यक्ति को न तो समान न्याय मिलता है और न हीं सम्मानपूर्वक जीवन जीने का कानूनी या मौलिक अधिकार प्राप्त है।
वयस्क युवक-युवतियों द्वारा अपनी-अपनी स्वैच्छा से हिन्दू समाज के समाजिक रीति रिवाजों के विरुद्ध जाकर विवाह करने या विवाह करने का प्रयास करने वालों को सम्मानपूर्वक जीवन जीने देने की आजादी प्रदान करना तो दूर, उन्हें हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश की खाप पंचायतों द्वारा जीवित रहने के अधिकार से ही वंचित किया जा रहा है।
इसके लिये एक सीमा तक हिन्दू विवाह अधिनियम बनाने वाली संसद भी जिम्मेदार है। जिसमें स्वैच्छा से विवाह करने की लम्बी और ऐसी दुरूह व्यवस्था की गयी है, जिसका मकसद स्वैच्छा से विवाह करने वालों का विवाह सम्पन्न करवाना नहीं, बल्कि उनके विवाह को रोकना ही असली मसद नजर आता है। इस लम्बी प्रक्रिया के कारण स्वैच्छा विवाह करने वाले जो‹डे के परिजनों को सारी जानकारी प्राप्त हो जाती है और फिर खाप पंचायतें अपना रौद्र रूप धारण करके तालिबानी न्याय प्रदान करके संविधान की धज्जियाँ उडाती हैं।
सम्भवत: इसी विसंगति को दूसर करने के आशय से पिछले दिनों दिल्ली सरकार सरकार ने हिन्दू विवाह पंजीकरण नियम (१९५६) में महत्वपूर्ण बदलाव करने को मंजूरी दे दी है। जिसके तहत अभी तक अदालत से विवाह पंजीकरण प्रमाण पत्र हासिल करने में एक माह का समय लगता है। जिसमें विवाह करने वालों के परिजनों को सूचना देना भी अनिवार्य होता है। दिल्ली सरकार के निर्णय के अनुसार, अब अदालत में विवाह करने के लिए कोई नोटिस नहीं देना होगा और विवाह के बाद उसी दिन विवाह पंजीकरण प्रमाण-पत्र भी मिल जाएगा।
विवाह करने के इच्छुक युवक-युवती किसी भी कार्य दिवस में बिना पूर्व सूचना अदालत में जाकर विवाह कर सकेंगे। हिन्दू विवाह पंजीकरण नियम,१९५६ के संशोधन के लिए अब दिल्ली सरकार एक अधिसूचना जारी करेगी। यह तय किया गया है कि मौजूदा नियम की धारा-७ की उप धारा ६ के प्रावधान अब दिल्ली में विवाह पंजीकरण के लिए जरूरी नहीं होंगे। जिनमें अभी तक यह व्यवस्था थी कि दिल्ली में विवाह पंजीकरण के लिए दोनों पक्षों में से कम से कम एक के अभिभावक का दिल्ली में कम से कम ३० दिन से अधिक का निवास होना चाहिए। अब यह तय किया गया है कि दिल्ली में किये गये विवाह के पंजीकरण के लिए यह शर्त लागू नहीं होगी। अब ३० दिन के निवास की शर्त समाप्त कर करने का प्रस्ताव है।
दिल्ली मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए निर्णय से ३० दिन की तय सीमा खतम होने के कारण परिजनों या समाज की मर्जी के खिलाफ जाकर विवाह करने वाले युवाओं को परेशानी का सामना नहीं करना प‹डेगा। अभी तक विवाह का पंजीकरण प्रमाण पत्र न होने के कारण ऐसे दंपती खुलकर समाज या पुलिस के सामने नहीं आ पाते थे और इनमें से कई तो ऑनर किqलग के नाम पर खाप पंचायतों द्वारा मौत के घाट उतार दिये जाते थे। अब जल्द विवाह होने एवं पंजीकरण प्रमाण पत्र मिल जाने से ऐसे दपंती पुलिस व कोर्ट के समक्ष पेश होकर सुरक्षा की मांग भी कर सकते हैं।
दिल्ली सरकार का उक्त निर्णय अन्य राज्य सरकारों के लिये अनुकरणीय निर्णय है। जिस पर यदि सभी सरकारें अमल करती हैं या स्वयं भारत सरकार इस पर अमल करती है तो बहुत सारी ऑनर किqलग (प्रतिष्ठा के लिये हत्या) को रोका जा सकेगा। जब तक ऐसा नहीं होता है, तब तक के लिये दिल्ली सरकार के प्रस्तावित कानून ने यह सन्देश तो दे ही दिया है कि कोई भी इच्छुक युवक-युवति दिल्ली में आकर अपना विवाह पंजीकरण करवा सकते हैं और अपने विवाह को उजागर करके पुलिस तथा प्रशासन का संरक्षण मांगकर मनमानी खाप पंचायतों से कानूनी संरक्षण पा सकते हैं।
सबसे पहले आप लोग को मारे तरफ से स्प्रम नमस्कार, आप का ब्लॉग देखा बहुत अछा लगा आप लोग को भी हमारे तरफ से बहुत बहुत ध्यंयबाद .मे आशा करता हू की आप लोग एसी तहर मेरा साथ दे क्यू के मे इस ब्लॉग जगत मे अभी एक डम अकेले हू ओर आप लोग का साथ लेना चाहता हू
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