सागर की तलाश में हम सिर्फ एक बूंद मात्र हैं, लेकिन हम जानते हैं कि सागर बूंद को नकार नहीं सकता| बेशक बूंद के बिना सागर को कोई फर्क नहीं पड़ता हो, लेकिन एक अकेली बूंद का सागर के बिना कोई अस्तित्व नहीं, कोई जीवन नहीं| सागर में मिलन की इस दुरूह राह में प्रत्येक संवेदनशील भारतीय का समर्पित और आत्मीय सहयोग जरूरी है|
हमें आशा ही नहीं, अपितु पूर्ण विश्वास है कि यदि उक्त टिप्पणी आपके या किसी भी सच्चे भारतीय के अंतर्मन पर प्रभाव डालने में सफल होती है तो वैचारिक संघर्ष की इस यात्रा में हम एक-दूसरे के सच्चे सारथी बन सकते हैं!
इस दुरूह और कांटों से भरी यात्रा में हम ऐसे जिन्दा लोगों की तलाश में हैं, जिनके दिल में भगत सिंह जैसा देशभक्ति का जज्बा कायम हो| जिस प्रकार से गौरे अंग्रेजों के खिलाफ भगत सिंह, सुभाष चन्द्र बोस, असफाकउल्लाह खॉं, चन्द्र शेखर आजाद, ऊधम सिंह जैसे असंख्य आजादी के दीवानों ने भारतीयता और आज़ादी की अलख जगायी थी, वैसे ही समर्पित और जिन्दादिल लोगों की आज के काले इण्डियन अंग्रेजों के आतंक के खिलाफ बुद्धिमतापूर्ण तरीके से लड़ने के लिये तलाश है|
कोई माने या नहीं माने, लेकिन जमीनी सच्चाई यही है कि इस देश में कानून का संरक्षण प्राप्त वर्दीधारी और कुर्सीधारी गुण्डों का साम्राज्य कायम हो चुका है|
केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा देश और अपने-अपने प्रदेश का विकास एवं उत्थान करने व जनता के प्रति जवाबदेह प्रशासनिक ढांचा खड़ा करने के लिये, हमसे हजारों तरीकों से टेक्स (कर) वूसला जाता है, लेकिन भ्रष्ट अफसरशाही के साथ-साथ, राजनेताओं ने भी इस देश को खोखला, कंगाल बनाकर यहॉं के लोकतन्त्र को पंगु और अपना गुलाम बना लिया है|
ब्यूरोक्रेट अर्थात् अफसर और बाबू, जिन्हें हमारे संविधान में पब्लिक सर्वेण्ट अर्थात् लोक सेवक (साफ और शब्दों में कहें तो ’जनता के नौकर’) कहा गया है, वे हकीकत में ’जनता के सेवक’ के बजाय, ’जनता के स्वामी’ बन बैठे हैं|
हालात ये हैं कि देश की जनसंख्या के मात्र दो प्रतिशत लोगों अर्थात् लोक सेवकों, राजनेताओं, उद्योगपतियों और जालसाजों ने जनता से संग्रहित सरकारी धन को डकारना और आम जनता पर अत्याचार करना, अपना स्वघोषित कानूनी अधिकार समझ लिया है| कुछ स्वार्थी और दलाली करने वाले लोग इन दो प्रतिशत भ्रष्ट और अत्याचारी लोगों का साथ देकर देश की जनता का कदम-कदम पर, लगातार शोषण, अपमान एवं तिरस्कार कर रहे हैं|
दूसरा सवाल-सरकारी कुर्सी पर बैठकर, भेदभाव, मनमानी, भ्रष्टाचार, अत्याचार, शोषण और गैर-कानूनी काम करने वाले लोक सेवकों को भारतीय दण्ड विधानों के तहत कठोर सजा नहीं मिलने के कारण आम व्यक्ति की प्रगति में रुकावट एवं देश की एकता, शान्ति, सम्प्रभुता और धर्म-निरपेक्षता को लगातार खतरा पैदा हो रहा है!
अब हम स्वयं से पूछें कि-हम हमारे इन नौकरों (लोक सेवकों) को यों हीं कब तक सहते रहेंगे?
जो भी व्यक्ति, देशवासियों और देश की दिशा और दशा बदलने के लिये जारी इस जनान्दोलन से जुडना चाहें, उसका शहीद-ए-आजम भगत सिंह के आदर्शों को सामने रखकर 1993 में स्थापित-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)-के 17 राज्यों में सेवारत हजारों रजिस्टर्ड आजीवन प्राथमिक सदस्यों और कार्यकर्ताओं की ओर से हृदय से स्वागत है और निःशुल्क सदस्यता फार्म प्राप्ति हेतु यहॉं पर क्लि्क करें या निम्न पते पर हमें लिखें :
हमें आशा ही नहीं, अपितु पूर्ण विश्वास है कि यदि उक्त टिप्पणी आपके या किसी भी सच्चे भारतीय के अंतर्मन पर प्रभाव डालने में सफल होती है तो वैचारिक संघर्ष की इस यात्रा में हम एक-दूसरे के सच्चे सारथी बन सकते हैं!
इस दुरूह और कांटों से भरी यात्रा में हम ऐसे जिन्दा लोगों की तलाश में हैं, जिनके दिल में भगत सिंह जैसा देशभक्ति का जज्बा कायम हो| जिस प्रकार से गौरे अंग्रेजों के खिलाफ भगत सिंह, सुभाष चन्द्र बोस, असफाकउल्लाह खॉं, चन्द्र शेखर आजाद, ऊधम सिंह जैसे असंख्य आजादी के दीवानों ने भारतीयता और आज़ादी की अलख जगायी थी, वैसे ही समर्पित और जिन्दादिल लोगों की आज के काले इण्डियन अंग्रेजों के आतंक के खिलाफ बुद्धिमतापूर्ण तरीके से लड़ने के लिये तलाश है|
कोई माने या नहीं माने, लेकिन जमीनी सच्चाई यही है कि इस देश में कानून का संरक्षण प्राप्त वर्दीधारी और कुर्सीधारी गुण्डों का साम्राज्य कायम हो चुका है|
केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा देश और अपने-अपने प्रदेश का विकास एवं उत्थान करने व जनता के प्रति जवाबदेह प्रशासनिक ढांचा खड़ा करने के लिये, हमसे हजारों तरीकों से टेक्स (कर) वूसला जाता है, लेकिन भ्रष्ट अफसरशाही के साथ-साथ, राजनेताओं ने भी इस देश को खोखला, कंगाल बनाकर यहॉं के लोकतन्त्र को पंगु और अपना गुलाम बना लिया है|
ब्यूरोक्रेट अर्थात् अफसर और बाबू, जिन्हें हमारे संविधान में पब्लिक सर्वेण्ट अर्थात् लोक सेवक (साफ और शब्दों में कहें तो ’जनता के नौकर’) कहा गया है, वे हकीकत में ’जनता के सेवक’ के बजाय, ’जनता के स्वामी’ बन बैठे हैं|
हालात ये हैं कि देश की जनसंख्या के मात्र दो प्रतिशत लोगों अर्थात् लोक सेवकों, राजनेताओं, उद्योगपतियों और जालसाजों ने जनता से संग्रहित सरकारी धन को डकारना और आम जनता पर अत्याचार करना, अपना स्वघोषित कानूनी अधिकार समझ लिया है| कुछ स्वार्थी और दलाली करने वाले लोग इन दो प्रतिशत भ्रष्ट और अत्याचारी लोगों का साथ देकर देश की जनता का कदम-कदम पर, लगातार शोषण, अपमान एवं तिरस्कार कर रहे हैं|
आज देश में भूख, चोरी, लूट, मिलावट, शोषण, भेदभाव, कमीशनखोरी, दलाली, अत्याचार, भ्रष्टाचार, जासूसी, नक्सलवाद, कालाबाजारी, मंहगाई आदि जो कुछ भी (यहां तक की एक सीमा तक आतंकवाद भी) गैर-कानूनी ताण्डव हो रहा है, उसका सबसे बडा कारण-भ्रष्ट, गैर-जिम्मेदार एवं बेलगाम अफसरशाही और सत्ताधीशों द्वारा अपने पद, कानूनी व्यवस्था और सत्ता का मनमाना दुरुपयोग करके भी कानून के शिकंजे बच निकलना या मुक्त रहना है|
दूसरा सवाल-सरकारी कुर्सी पर बैठकर, भेदभाव, मनमानी, भ्रष्टाचार, अत्याचार, शोषण और गैर-कानूनी काम करने वाले लोक सेवकों को भारतीय दण्ड विधानों के तहत कठोर सजा नहीं मिलने के कारण आम व्यक्ति की प्रगति में रुकावट एवं देश की एकता, शान्ति, सम्प्रभुता और धर्म-निरपेक्षता को लगातार खतरा पैदा हो रहा है!
अब हम स्वयं से पूछें कि-हम हमारे इन नौकरों (लोक सेवकों) को यों हीं कब तक सहते रहेंगे?
जो भी व्यक्ति, देशवासियों और देश की दिशा और दशा बदलने के लिये जारी इस जनान्दोलन से जुडना चाहें, उसका शहीद-ए-आजम भगत सिंह के आदर्शों को सामने रखकर 1993 में स्थापित-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)-के 17 राज्यों में सेवारत हजारों रजिस्टर्ड आजीवन प्राथमिक सदस्यों और कार्यकर्ताओं की ओर से हृदय से स्वागत है और निःशुल्क सदस्यता फार्म प्राप्ति हेतु यहॉं पर क्लि्क करें या निम्न पते पर हमें लिखें :
नोट : किसी कारण से हमारे साथ सीधे नहीं जुड़ सकने वाले देशभक्त-मित्रजन भ्रष्ट एवं तानाशाह अफसरशाही, राजनेताओं और उद्योगपतियों के गैर-कानूनी गठजोड़ के अत्याचारों से देश एवं देश के आम लोगों को बचाव एवं संरक्षण के लिये जनोपयोगी कानूनी मार्गदर्शक जानकारी और, या सुझाव भेज कर भी सहयोग कर सकते हैं| -डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश', राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
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पत्राचार का पता :-
राष्ट्रीय अध्यक्ष
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भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
7-तँवर कॉलोनी, खातीपुरा रोड, जयपुर-302006
(राजस्थान) फोन नं. 0141-2222225
Mobile : 98285-02666
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National President
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Bhrashtachar & Atyachar Anveshan Sansthan (BAAS)
7-Tanwar Colony, Khatipura Road
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Ap ki awaj ko purjor karne me ham sath hain.
ReplyDeleteI want to know how you are fighting with corruption and other social evils.
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