BAAS SPEAK UP

BAAS SPEAK UP
भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) की आजीवन प्राथमिक सदस्यता का नवीनतम जीरो (0) नंबर फॉर्म यहाँ पर क्लिक करके डाउन लोड और प्रिंट किया जा सकता है!
यदि आपका कोई अपना या परिचित पीलिया रोग से पीड़ित है तो इसे हलके से नहीं लें, क्योंकि पीलिया इतना घातक है कि रोगी की मौत भी हो सकती है! इसमें आयुर्वेद और होम्योपैथी का उपचार अधिक कारगर है! हम पीलिया की दवाई मुफ्त में देते हैं! सम्पर्क करें : डॉ. पुरुषोत्तम मीणा, 0141-2222225, 98285-02666

PRESSPALIKA NEWS CHANNEL-प्रेसपालिका न्यूज चैनल

27.6.11

रसोई गैस-डीजल-केरोसीन और पेट्रोल की मंहगाई



डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'

मंहगाई का असली कारण
रसोई गैस का कार में उपयोग
सरकार जब-जब भी रसोई-गैस, डीजल, केरोसीन और पेट्रोल की कीमतें बढाती है, सरकार की ओर से हर बार रटे-रटाये दो तर्क प्रस्तुत करके देश के लोगों को चुप करवाने का प्रयास किया जाता है| पहला तो यह कि कि अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव बढ गये हैं, जो सरकार के नियन्त्रण में नहीं है| दूसरा तर्क यह दिया जाता है कि रसोई-गैस, डीजल, केरोसीन और पेट्रोल की आपूर्ति करने वाली कम्पनियों को भारी घाटा हो रहा है| इसलिये रसोई-गैस, डीजल, केरोसीन और पेट्रोल की कीमतें बढाना सरकार की मजबूरी है| राष्ट्रीय मीडिया की ओर से हर बार सरकार को बताया जाता है कि यदि सरकार अपने करों को कम कर दे तो रसोई-गैस, डीजल, केरोसीन और पेट्रोल की कीमतें बढने के बजाय घट भी सकती हैं और आंकड़ों के जरिये यह सिद्ध करने का भी प्रयास किया जाता है कि रसोई-गैस, डीजल, केरोसीन और पेट्रोल की आपूर्ति करने वाली कम्पनियों को कुल मिलाकर घाटे के बजाय मुनाफा ही हो रहा है, फिर कीमतें बढाने की कहॉं पर जरूरत है|

मीडिया और जागरूक लोगों की ओर से उठाये जाने वाले इन तर्कसंगत सवालों पर सरकार तनिक भी ध्यान नहीं देती है और थोड़े-थोड़े से अन्तराल पर रसोई-गैस, डीजल, केरोसीन और पेट्रोल की कीमतें लगातार और बेखौप बढाती ही जा रही है| जिससे आम गरीब लोगों की कमर टूट चुकी है| लेकिन इन लोगों में सरकार के इस अत्याचार का संगठित होकर प्रतिकार करने की क्षमता नहीं है| मध्यम एवं उच्च वर्ग जो हर प्रकार से प्रतिकार करने में सक्षम है, वह एक-दो दिन चिल्लाचोट करके चुप हो जाता है|


राजनैतिक दल भी औपचारिक विरोध करके चुप हो जाते हैं| क्योंकि राजनेता तो सभी दलों के एक जैसे हैं| उन्हें सत्ता से बाहर होने पर ही जनता की तकलीफें नरज आती हैं| मोरारजी देसाई के छोटे से कार्यकाल को छोड़ दिया जाये तो यह बात पूरी तरह से सच है कि सत्ता में आने पर किसी भी राजनैतिक दल के नेताओं को आम लोगों की गम्भीर समस्याएँ भी नजर ही नहीं आती हैं| इसीलिये अन्य अनेक जीवन रक्षक जरूरी वस्तुओं की कीमतों में परोक्ष वृद्धि के साथ-साथ रसोई-गैस, डीजल, केरोसीन और पेट्रोल की कीमतें प्रत्यक्ष रूप से बढने का सिलसिला लगातार चलता रहता है|

मैं समझता हूँ कि अब आम-अभावग्रस्त लोगों को इस दिशा में कुछ समाधानकारी मुद्दों को लेकर सड़क पर आने की जरूरत है, क्योंकि राजनैतिक लोगों से इस समस्या के बारे में आम लोगों के साथ खड़े होने की आशा करना अपने आपको धोखा देने के समान है| बल्कि जनता को अपने आन्दोलन से राजनैतिक लोगों को अलग भी रखना चाहिये| केवल दो बातें ऐसी हैं, जिन्हें देश के आम-अभावग्रस्त लोगों को देश की अंधी-बहरी सरकार को समझाने की जरूरत है:-

1. रसोई गैस एवं केरोसीन की कुल खपत का करीब 40 प्रतिशत व्यावसायिक उपयोग हो रहा है, जिसके लिये मूलत: इनकी कालाबाजारी जिम्मेदार है| जिसमें सरकार के अफसर भी शामिल हैं, क्योंकि उनको हर माह रसोई गैस एवं केरोसीन की कालाबाजारी करने वालों और इनका व्यावसायिक उपयोग करने वालों की ओर से कमीशन मिलता है| जिसकी रोकथाम के लिये सरकार कोई प्रयास नहीं करके रसोई गैस एवं केरोसीन की कीमतें बढकार जनता पर अत्याचार करती है| जबकि कालाबाजारी करने वालों, व्यावसायिक उपयोग करने वालों और सम्बन्धित सरकारी अमले को कठोर सजा मिलनी चाहिये|

2. रसोई-गैस, डीजल, केरोसीन और पेट्रोल की आपूर्ति करने वाली कम्पनियों के कर्मचारियों और अफसरों को जिस प्रकार की सुविधा और वेतन दिया जा रहा है, वह उनकी कार्यक्षमता से कई गुना अधिक है| जिसका भार अन्नत: देश की जनता पर ही पड़ता है| जब सरकार रसोई-गैस, डीजल, केरोसीन और पेट्रोल की कीमतें बढाने के मामले में इन कम्पनियों की ओर से हस्तक्षेप कर सकती है तो इन कम्पनियों के खर्चों को नियन्त्रित करने के लिये हस्तक्षेप क्यों नहीं करती है? जब भी इस बारे में सरकार से नियन्त्रण की बात की जाती है तो सरकार इसे कम्पनियों का आन्तरिक मामला कहकर पल्ला झाड़ लेती है, जबकि कम्पनियों द्वारा अर्जित धन की बर्बादी के कारण होने वाले घाटे की पूर्ति के लिये सरकार रसोई-गैस, डीजल, केरोसीन और पेट्रोल की कीमतें बढाने के लिये इन कम्पनियों की ओर से जनता पर भार बढाने में कभी भी संकोच नहीं करती है|

No comments:

Post a Comment

आपकी टिप्पणी, केवल मेरे लिये ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण ब्लॉग जगत के लिये मार्गदर्शक हैं. कृपया अपने विचार जरूर लिखें!